Friday, March 22, 2019

गोस्वामी तुलसीदास जी के व्यक्तित्व का एक अनछुआ पहलू

गोस्वामी तुलसीदास जी सिर्फ एक महान ग्रन्थ रामचरित मानस के रचियता के रूप में ही जाने जाते है, लेकिन समकालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुवे अगर थोड़ा विश्लेषण किया जाए तो मुझे लगता है की हम उन्हें एक ऐसे चतुर योद्धा की तरह देख पाएंगे, जिसने भारतीय जनमानस में शक्ति और कर्तव्यबोध का संचार करके उन्हें संगठित रखने का अहम् कार्य किया|

उनके जीवनकाल में मुग़ल साम्राज्य अपने पूरे वैभव पर था और लोगो को जान का भय दिखा कर बड़े पैमाने पर इस्लाम कबूल करवाया जा रहा था |गोस्वामी तुलसीदास जी ने पाया की रामकहानी ही एक मात्र ऐसा उपाय है जिससे जनमानस में विश्वास जगाया जा सकता है और राजाओ को कर्त्तव्य बोध करवाया जा सकता है और इसीलिए संस्कृत का विद्वान् होने के बावजूद उन्होंने जनभाषा में राम कहानी लिखी|

मुगलकाल में सभी हिन्दू राजा सिर्फ आँखे ही नहीं मूँद रखे थे बल्कि वो अपने राज्य में ऐसे लोगो को शरण देने को भी तैयार नहीं थे जो की इन अत्याचारों का विरोध करने का साहस दिखा रहा हो | तुलसीदास जी ने ऐसे राजाओ को ऐसे सन्देश देकर झकझोर दिया:

"सरनागत कहुँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि।
ते नर पावँर पापमय तिन्हहि बिलोकत हानि॥"

सिर्फ पाप का ही ज्ञान नहीं दिया बल्कि यह भी बताया की किससे प्रिय वचनो की उम्मीद नहीं रखना चाहिए और क्यों,
"सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस।
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास॥"

सबसे महत्वपूर्ण बात यह की अनंतकाल तक इंतज़ार नहीं किया जा सकता, कुछ समय बाद विनय को छोड़ के भय/शक्ति का परिचय देना आवश्यक होता है,

"बिनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीत।
बोले राम सकोप तब, भय बिन होय न प्रीत।।"

आम जनमानस को भी तुलसीदास जी यह विश्वास दिलवाने में वह कामयाब रहे की उन्हें कैसा आचरण रखना है

"जौं पै दुष्ट हृदय सोइ होई। मोरें सनमुख आव कि सोई॥"

और

"निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा॥"

साथ ही, जो लोग ऐसा करने में सफल होंगे उन्हें बिना इच्छा के भी सफलता मिलेगी,

"दपि सखा तव इच्छा नहीं। मोर दरसु अमोघ जग माहीं॥"


रामचरित मानस को लिखने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण उसके मंचन में राजाराम की जय हो का बारम्बार उद्घोष करवा कर लोगो को यह सन्देश देना की उनके राजा और आराध्य मुग़ल सम्राट नहीं बल्कि राम है, यह अपने आप में बहुत बड़ी बात थी|
 
वास्तव में तुलसीदास जी एक ऐसे चाणक्य है जिसे कोई चन्द्रगुप्त नहीं मिल सका, अन्यथा भारत और विश्व का इतिहास आज कुछ और ही होता| लेकिन फिर भी पूरे देश में राम भक्तो की टोलिया बनवाकर हिन्दू धर्म को सहेजने का जो काम गोस्वामी तुलसीदास जी भारत में किया वह दुनिया में और कोई भी समुदाय नहीं कर पाया| इसी का परिणाम है की आज ऐसे सभी देशो में इस्लाम आने के पहले वहा के लोग जिन रीतीरिवाजो का पालन करते थे, उसका नामोनिशाँ तक मिट चुका है |